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‘जीरो टॉलरेंस’ की खुली धज्जियाँ! प्रवर्तन ज़ोन–3 में उपाध्यक्ष की सख़्ती बेअसर, अभियंता चला रहे भ्रष्टाचार का खेल

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प्रदीप कुमार उपाध्याय

सीएम योगी की नीति को ठेंगा, LDA ज़ोन–3 में खुलेआम अवैध निर्माण

लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के तेजस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को सख़्ती से लागू करने के लिए लगातार निर्देश दे रहे हैं। इसी क्रम में लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार भी आए दिन विभागीय बैठकों में अधिकारियों और कर्मचारियों को ईमानदारी से काम करने की सख़्त नसीहत देते नजर आते हैं।
लेकिन प्रवर्तन ज़ोन–3 में यह नीति केवल काग़ज़ों तक सीमित दिखाई दे रही है। यहां तैनात सहायक अभियंता रविशंकर राय और अवर अभियंता राहुल विश्वकर्मा पर उपाध्यक्ष की चेतावनी का कोई असर होता नजर नहीं आता।

शिकायत पर भी झूठी रिपोर्ट! अभियंताओं की साठ-गांठ उजागर

जानकारी के अनुसार, पिछले माह उपाध्यक्ष को प्रवर्तन ज़ोन–3 में एक अवैध निर्माण की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस पर उपाध्यक्ष ने जब जोनल अधिकारी से रिपोर्ट तलब की, तो जो रिपोर्ट भेजी गई उसमें सहायक अभियंता रविशंकर राय और अवर अभियंता राहुल विश्वकर्मा द्वारा झूठे तथ्य प्रस्तुत किए गए

रिपोर्ट में दावा किया गया कि निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुसार किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह थी कि निर्माण पूरी तरह अवैध था। यह झूठी रिपोर्ट बिल्डर और अभियंताओं की मिलीभगत का सीधा प्रमाण मानी जा रही है। यदि सांठगांठ न होती, तो उच्च अधिकारियों को इस तरह गुमराह करने का साहस कोई नहीं करता। अवर अभियंता राहुल विश्वकर्मा प्रवर्तन जोन सात व जोन पाँच से भी गंभीर अवैध निर्माणों की शिकायतों पर हटाये जा चुके हैं।

जांच में खुला झूठ का पर्दाफाश, फिर भी कार्रवाई ठप

उपाध्यक्ष द्वारा भेजी गई रिपोर्ट की स्वतंत्र जांच कराई गई, तो यह स्पष्ट हो गया कि निर्माण स्वीकृत मानचित्र के ठीक विपरीत किया गया था।
एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के बाद यह मामला और गंभीर हो गया। दोनों अभियंताओं की झूठी रिपोर्ट ने जोनल अधिकारी को भी कठघरे में खड़ा कर दिया

इसके बाद उपाध्यक्ष द्वारा जोनल अधिकारी, सहायक अभियंता और अवर अभियंता राहुल विश्वकर्मा से एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया था।

गदाईखेड़ा चौराहा मामला: फिर पेश की गई भ्रामक रिपोर्ट

इसी तरह गदाईखेड़ा चौराहे के पास हो रहे अवैध निर्माण पर भी उपाध्यक्ष ने रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में भी भ्रामक और अधूरी रिपोर्ट पेश की गई
रिपोर्ट में सिर्फ यह बताया गया कि बिल्डिंग 2024 से सील है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि—

  • वाद कब दायर हुआ?

  • सीलिंग के एक वर्ष बाद भी ध्वस्तीकरण का आदेश क्यों नहीं हुआ?

यह चुप्पी साफ़ तौर पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की ओर इशारा करती है।

कार्रवाई के आदेश, फिर भी कोई असर नहीं

उपाध्यक्ष द्वारा जोनल अधिकारी, सहायक अभियंता और अवर अभियंता से स्पष्टीकरण के साथ-साथ

  • प्रवर्तन कार्य इनसे हटाने

  • कठोर कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजने

की बात भी कही गई थी।
लेकिन अब तक किसी ठोस कार्रवाई की कोई सूचना सामने नहीं आई है, जिससे साफ़ प्रतीत होता है कि प्रवर्तन ज़ोन–3 में भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं।

सबसे बड़ा सवाल: कब टूटेगा अभियंताओं का यह ‘अघोषित साम्राज्य’?

प्रवर्तन ज़ोन–3 की मौजूदा स्थिति यह संकेत दे रही है कि—

  • अवैध निर्माणों को खुली छूट

  • उपाध्यक्ष के आदेशों की अनदेखी

  • भ्रामक रिपोर्टों के ज़रिए सिस्टम को गुमराह करना

अब एक स्थायी कार्यप्रणाली बन चुकी है।

अब सवाल यह है कि—
क्या उपाध्यक्ष की सख़्ती वास्तव में ज़ोन–3 तक पहुंचेगी?
या फिर अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार का यह खेल यूं ही चलता रहेगा?

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