लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव एस.पी. गोयल की अध्यक्षता में मंगलवार को सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साप्ताहिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में उर्वरकों की उपलब्धता, पराली जलाने की रोकथाम, गो-आश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं, जैविक खाद के बदले पराली संग्रहण अभियान और खनन विभाग से जुड़े मुद्दों की विस्तृत समीक्षा की गई।
प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता, स्टॉक कमी न होने देने के निर्देश
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में उर्वरकों की उपलब्धता पर्याप्त है। उन्होंने निर्देश दिया कि:
सभी सहकारी समितियाँ समय पर खुलें,
विक्रय केन्द्रों पर खाद का स्टॉक कभी कम न हो,
स्टॉक कम होने की स्थिति में तत्काल पुनः आवंटन किया जाए,
जिलाधिकारी उर्वरक की उपलब्धता की प्रतिदिन समीक्षा करें,
हर किसान को समय से उर्वरक उपलब्ध कराया जाए।
पराली जलाने पर सख्त रुख, सैटेलाइट से निगरानी जारी
मुख्य सचिव ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं की सैटेलाइट से निरंतर निगरानी की जा रही है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि:
इस संवेदनशील विषय पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दें,
विभागों के साथ समन्वय बनाकर ठोस रोकथाम उपाय अपनाएँ,
अधिक घटनाओं वाले जनपदों में किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाएँ,
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
गो-आश्रय स्थलों में ठंड से बचाव और चारा व्यवस्था पर जोर
मुख्य सचिव ने निराश्रित गोवंश संरक्षण को लेकर कहा:
प्रदेश में 30 नए वृहद गोसंरक्षण केन्द्र प्रस्तावित हैं, जिनके लिए एक-एक हेक्टेयर भूमि शीघ्र उपलब्ध कराई जाए।
प्रत्येक मंडल में एक-एक मॉडल गौशाला विकसित करने के लिए स्थल चिन्हित किया जाए।
अच्छे कार्य करने वाले एनजीओ को गो-आश्रय स्थल आवंटित किए जाएँ।
गो-आश्रय स्थलों में कर्मचारियों की उपस्थिति, चारा-पानी और क्रियाशीलता की कड़ी निगरानी रखी जाए।
प्रति गोवंश 50 रुपये प्रतिदिन की दर से हरा चारा, साइलेज एवं भूसा उपलब्ध कराया जाए।
चारा उत्पादक किसानों से वार्षिक अनुबंध किए जाएँ।
सड़कों और खेतों से निराश्रित पशुओं को तत्काल संरक्षित कराया जाए।
शीत ऋतु को देखते हुए तिरपाल, बोरे और पुआल की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।
पराली संग्रहण अभियान में तेजी
मुख्य सचिव ने बताया कि जैविक खाद के बदले पराली संग्रहण अभियान 1 नवम्बर से 15 दिसम्बर 2025 तक चल रहा है।
उन्होंने निर्देश दिया कि अभियान का व्यापक प्रचार किया जाए ताकि अधिक से अधिक पराली संग्रहित हो सके और पराली जलाने की घटनाओं में कमी आए।
खनन विभाग को जीपीएस इंटीग्रेशन और रॉयल्टी वसूली के निर्देश
खनन विभाग की समीक्षा में मुख्य सचिव ने कहा:
ईंट भट्टों से विनियमन शुल्क प्राथमिकता से जमा कराया जाए।
उपखनिजों की बकाया रॉयल्टी वसूली तेजी से पूरी की जाए।
साधारण मिट्टी के आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
बालू-मोरंग खनन पट्टों की रीप्लेनिशमेंट स्टडी EMGSM-2020 एवं SSMMG-2016 के अनुसार कराई जाए।
खनन वाहनों पर लगे GPS उपकरणों का विभागीय पोर्टल से इंटीग्रेशन शीघ्र पूरा कराया जाए।
उर्वरक लक्ष्य एवं उपलब्धता का विवरण
मौजूदा रबी अभियान वर्ष 2025–26 में:
यूरिया लक्ष्य: 17.42 लाख मीट्रिक टन
फास्फेटिक लक्ष्य: 9.27 लाख मीट्रिक टन
19 नवंबर 2025 तक उपलब्धता:
यूरिया: 6.43 लाख मीट्रिक टन
फास्फेटिक: 6.59 लाख मीट्रिक टन
विगत वर्ष 2024–25 में यूरिया और फास्फेटिक की उपलब्धता और वितरण लक्ष्य भी संतोषजनक रहा।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव सहकारिता सौरभ बाबू, सचिव भूतत्व एवं खनिकर्म माला श्रीवास्तव, सचिव कृषि इंद्र विक्रम सिंह समेत संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
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