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प्रदीप कुमार उपाध्याय
मुख्यमंत्री की सख्त नीति को खुली चुनौती
प्रदेश के तेजस्वी मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति और ईमानदार छवि के IAS अधिकारी प्रथमेश कुमार के दावों को ठेंगा दिखाने का आरोप लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के प्रवर्तन जोन-5 में तैनात सहायक अभियंता संजय शुक्ला पर लग रहा है। नगर पालिका सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए इस अधिकारी को लेकर पूरे क्षेत्र में चर्चा है कि अवैध निर्माण करवाना हो तो “सांठ-गांठ” का सबसे सुरक्षित रास्ता यही है।

शासन–सत्ता में पकड़ के दावे, खुलेआम दबंगई
सूत्रों के मुताबिक संजय शुक्ला खुद यह दावा करते नहीं थकते कि उनके चीफ सेक्रेटरी, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, आवास विभाग से लेकर कई IAS, PCS अधिकारी और कैबिनेट मंत्रियों से घरेलू संबंध हैं। यही कारण है कि अवर अभियंताओं और सहायक अभियंताओं के बीच उनकी “अजेय पकड़” की चर्चाएं आम हैं। दावा किया जाता है कि वह खुलेआम कहते हैं— “मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, यदि नौकरी में कोई दिक्कत आती भी है तो मैंने एल.एल.बी कर रखी है अपनी जुगाड़ के दम पर मैं शासकीय अधिवक्ता बन जाऊँगा और हर माह तीन-चार लाख कमाऊँगा नौकरी में क्या रखा है”
प्रतिनियुक्ति के साथ ही प्रवर्तन विभाग पर कब्जा
करीब दस वर्ष पूर्व नगर पालिका सेवा से LDA आए संजय शुक्ला ने आते ही जुगाड़ के दम पर प्रवर्तन विभाग में अपनी तैनाती करवा ली। आरोप है कि जिस भी जोन में उनकी तैनाती रही, वहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण करवाकर अकूत संपत्ति बनाई गई और जब चाहा, मनचाहे जोन में तबादला भी करवा लिया गया।
शिकायतों पर कार्रवाई नहीं, ‘जुगाड़’ की राजनीति
बताया जाता है कि यदि किसी अवर अभियंता के खिलाफ प्राधिकरण उपाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई की संस्तुति शासन को भेजी जाती है, तो संजय शुक्ला उसे लेकर लाल बहादुर शास्त्री भवन (एनेक्सी) में जुगाड़ लगवाते नजर आते हैं। लोक भवन, विधान भवन, बापू भवन और एनेक्सी के बाहर उनकी मौजूदगी आम बताई जाती है।
जोन-5 में अवैध निर्माण की बाढ़
वर्तमान में जोन-5 में तैनाती के तुरंत बाद लगभग सभी सील बिल्डिंगों में निर्माण कार्य फिर से शुरू करा दिए गए। कई सील इमारतें अध्यासित होने की कगार पर हैं। आरोप है कि पूरे क्षेत्र में सैकड़ों अवैध निर्माण जारी हैं और हर निर्माण पर प्रति छत व प्रति माह की वसूली तय है।
नोटिस सिर्फ दिखावा, वसूली में बढ़ोतरी
सूत्र बताते हैं कि यदि किसी पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता या पड़ोसी द्वारा अवैध निर्माण की शिकायत या खबर प्रकाशित की जाती है, तो महज औपचारिक नोटिस जारी कर बिल्डर को काम तेज करने का संकेत दे दिया जाता है—साथ ही वसूली की रकम बढ़ा दी जाती है।
सवालों के घेरे में शासन की साख
अब बड़ा सवाल यह है कि इस कथित भ्रष्ट सहायक अभियंता पर कब कार्रवाई होगी? क्या जोन-5 में अवैध निर्माण पर कभी शिकंजा कसेगा या फिर जीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह जाएगी? यदि उपाध्यक्ष प्राधिकरण द्वारा प्रवर्तन जोन-5 का स्थलीय निरीक्षण कर लिया जाए तो अवैध निर्माणों की सच्चाई सामने आ जाएगी।
Perfect Media News Agency
