लखनऊ/कासगंज। उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक श्री राजीव कृष्ण ने 20 नवंबर 2025 को जनपद कासगंज द्वारा आयोजित परिक्षेत्र स्तरीय साइबर जागरूकता कार्यशाला का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारम्भ किया।
इस कार्यशाला में आगरा ज़ोन के अपर पुलिस महानिदेशक, अलीगढ़ परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक, कासगंज के जिलाधिकारी, कासगंज–अलीगढ़–हाथरस–एटा के पुलिस अधीक्षक, एसपीआरए अलीगढ़, साइबर सेल अधिकारीगण, विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक–छात्र, व्यापारी संगठन, बैंक कर्मचारी, सर्राफा एसोसिएशन तथा मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
साइबर विशेषज्ञ श्री अमित दूबे के मार्गदर्शन को विशेष रूप से सराहा गया।
“डिजिटल युग में सुविधा के साथ ज़िम्मेदारी भी बढ़ी है” – डीजीपी राजीव कृष्ण
अपने उद्बोधन में डीजीपी ने कहा कि पिछले वर्षों में डिजिटल भुगतान, सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं। भारत प्रति व्यक्ति डिजिटल वित्तीय लेन-देन में आज विश्व में प्रथम स्थान पर है। कोविड के बाद ई-कॉमर्स क्षेत्र में 60–70% की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट सुविधा जितनी तेज़ी से बढ़ी है, साइबर अपराध उतनी ही तेजी से बढ़े हैं, इसलिए डिजिटल उपयोग को केवल सुविधा नहीं बल्कि जिम्मेदारी की तरह अपनाना होगा।
समाज पर साइबर अपराध का प्रभाव
डीजीपी ने बताया कि समाज का कोई वर्ग साइबर अपराध से अछूता नहीं है—
स्कूली बच्चे साइबर बुलिंग के शिकार हो रहे हैं,
महिलाएं व बालिकाएं साइबर स्टॉकिंग और महिला-केंद्रित अपराधों से प्रभावित हैं।
डिजिटल अरेस्ट — एक उभरता साइबर खतरा
उन्होंने चेतावनी दी कि डिजिटल अरेस्ट एक खतरनाक साइबर अपराध है जिसमें अपराधी स्वयं को सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर नागरिकों को भयभीत करते हैं और जीवन भर की कमाई तक ठग लेते हैं।
साइबर आर्थिक अपराध के तीन कारण
A – लालच
लगभग 70% साइबर ठगी लालच के कारण होती है, जैसे जल्दी पैसा दोगुना करने वाली स्कीमें।
B – भय
CBI, पुलिस या अन्य एजेंसियों का फर्जी अधिकारी बनकर कानूनी कार्रवाई की धमकी देना।
C – लापरवाही
OTP साझा करना, फर्जी लिंक क्लिक करना, या .APK फाइल इंस्टॉल करना—
जो आज का सबसे खतरनाक तरीका है। लिंक क्लिक करते ही पूरा फोन हैक हो जाता है।
नागरिकों के लिए तीन महत्वपूर्ण उपाय
तत्काल 1930 पर कॉल करें — लेन-देन रोकने के लिए देश की सबसे मजबूत साइबर हेल्पलाइन।
30 मिनट के भीतर रिपोर्ट करें — यही गोल्डन टाइम है।
सही जानकारी दर्ज करें — गलत खाता/आईडी देने पर पैसा गलत खाते में फ्रीज़ हो सकता है।
बच्चों और युवाओं में साइबर सजगता आवश्यक
ऑनलाइन गेमिंग के दुष्प्रभावों से बच्चों को सतर्क करें।
गेम में हमेशा गेम क्रिएटर ही जीतता है, खिलाड़ी नहीं।
सोशल मीडिया युवाओं को नशे की तरह अपनी गिरफ्त में ले रहा है—इससे बचने के लिए जागरूकता जरूरी है।
पुलिस अधिकारियों के लिए संदेश
डीजीपी ने कहा कि “थाना प्रभारियों को यह अवधारणा त्यागनी होगी कि साइबर अपराध की जांच हम नहीं कर सकते।”
उन्होंने बताया कि साइबर जांच पूरी तरह SOP आधारित, सरल और चरणबद्ध है।
जितनी तेजी से पुलिस का कौशल बढ़ेगा, उतना ही नागरिकों का विश्वास सुदृढ़ होगा।
साइबर सुरक्षा में नागरिकों की सहभागिता अपरिहार्य
मजबूत पासवर्ड व अपडेटेड सॉफ्टवेयर का उपयोग करें।
संदिग्ध लिंक, .APK फ़ाइल और अनजान कॉल से सावधान रहें।
डीजीपी ने कहा—
“सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी बनेगा जब जनता और पुलिस दोनों साथ मिलकर साइबर अपराध के खिलाफ खड़े हों।”
अंत में उन्होंने कहा कि “साइबर क्राइम जितनी तेजी से बढ़ सकता है, उतनी ही तेजी से नियंत्रित भी किया जा सकता है—शर्त है कि हम सभी जागरूक रहें।”
Perfect Media News Agency
